सरताज अज़ीज़ का हार्ट ऑफ़ एशिया समिट, में सम्मलित होना एक ऐसा विषय है जो हम सबको सोचने पर मजबूर कर देता है। एक तरफ तो हमरी सरकार कहती है की हम पाकिस्तान से किसी भी प्रकार की बात चीत के पहले उसे आतंकवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाना होग, लेकिन आज पाकिस्तानी के foriegn मिनिस्टर की मौजूदगी हमें कुछ और दर्शा रही है।
पकिस्तान ने भारत को हर बार पीठ में खंजर मारा है, भले ही अटल जी की बस यात्रा हो या फिर मोदी का शरीफ की बेटी की शादी में जाना हो। पाकिस्तान ने हमेशा ही भारत के दोस्ती के हाथ में ज़हर भरी सुई चुभाई है।
डिप्लोमेसी के नज़रिये से देखा जाए तोह यह समिट भारत का नहीं परंतु अफगानिस्तान की सरकार का कार्यक्रम है, ऐसी स्थिति में अगर भारत किसी भी देश के प्रतिनिधि को अगर वीसा नहीं देता तो क्या ये सही होता। सही और गलत का फैसला हम अभी छोड़ देते है, पर अब जब पाकिस्तानी प्रतिनिधि यहाँ आ ही गए है तो भारत को उसे उसकी सही जगह दिखाना ज़रूर चाहीये।
अब देखिये हमारे प्रधान मंत्री ने रात्रि भोज पर जाने से पहले, गोल्डन टेम्पल पहुंचे और वह पर माथा टेका, और लंगर में मौजूद लोगों को खाना भी परोसा। उनके साथ हमें अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भी दिखाई दिए।
लेकिन यह सब करके क्या मोदी जी सरताज अज़ीज़ के मुद्दे से हमारा ध्यान हटाना चाह रहे है, या फिर वह कोई सन्देश भेजने की कोशिश कर रहे है। हमने मोदी जी के छप्पन इंच के सीने के बारे मई तोह बहुत बार सुन रखा है, ऐसे लोगो के बीच अचानक पहुंचकर शायद वह दर्शाना चाहते है की उन्हें सिक्योरिटी के लिए पहले से प्लान नहीं करना पड़ता, क्योंकि भरत की जनता ही उनका सुरक्षा कवच है।
सरताज अज़ीज़ी अगर भारत आया है, तो वो अलगाववादी संगठनो से भी ज़रूर मिलेगा, क्या भारतीय सरकार इसकी इजाज़त देगी। भारत को सरताज अज़ीज़ी को समिट के venue पर ही नज़र बंद रखना चाहिए, और एक बार सउम्मीत ख़तम होते ही उसे पकिस्तान के लिए रवाना कर देना चहिये। इस दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधि को मीडिया से बात चीत करने के लिए भी ज़्यादा मौके नहीं देना चहये। ऐसा करकर भारत ज़रूर एक strong signal भेजना चाहिये।
सरताज अज़ीज़ को सिर्र्फ समिट तक सीमित करके भारतीय सरकार पाकिस्तान को उसकी सही जगह भी दिखा सकता है।
अब हमें आने वाले दिनों में देखना होगा की भारत क्या रणनीति अपनाता है, और पाकिस्तानी प्रतिनिधि को आग उगलने से कैसे रोकता है।
पकिस्तान ने भारत को हर बार पीठ में खंजर मारा है, भले ही अटल जी की बस यात्रा हो या फिर मोदी का शरीफ की बेटी की शादी में जाना हो। पाकिस्तान ने हमेशा ही भारत के दोस्ती के हाथ में ज़हर भरी सुई चुभाई है।
डिप्लोमेसी के नज़रिये से देखा जाए तोह यह समिट भारत का नहीं परंतु अफगानिस्तान की सरकार का कार्यक्रम है, ऐसी स्थिति में अगर भारत किसी भी देश के प्रतिनिधि को अगर वीसा नहीं देता तो क्या ये सही होता। सही और गलत का फैसला हम अभी छोड़ देते है, पर अब जब पाकिस्तानी प्रतिनिधि यहाँ आ ही गए है तो भारत को उसे उसकी सही जगह दिखाना ज़रूर चाहीये।
अब देखिये हमारे प्रधान मंत्री ने रात्रि भोज पर जाने से पहले, गोल्डन टेम्पल पहुंचे और वह पर माथा टेका, और लंगर में मौजूद लोगों को खाना भी परोसा। उनके साथ हमें अफगानिस्तान के राष्ट्रपति भी दिखाई दिए।
लेकिन यह सब करके क्या मोदी जी सरताज अज़ीज़ के मुद्दे से हमारा ध्यान हटाना चाह रहे है, या फिर वह कोई सन्देश भेजने की कोशिश कर रहे है। हमने मोदी जी के छप्पन इंच के सीने के बारे मई तोह बहुत बार सुन रखा है, ऐसे लोगो के बीच अचानक पहुंचकर शायद वह दर्शाना चाहते है की उन्हें सिक्योरिटी के लिए पहले से प्लान नहीं करना पड़ता, क्योंकि भरत की जनता ही उनका सुरक्षा कवच है।
सरताज अज़ीज़ी अगर भारत आया है, तो वो अलगाववादी संगठनो से भी ज़रूर मिलेगा, क्या भारतीय सरकार इसकी इजाज़त देगी। भारत को सरताज अज़ीज़ी को समिट के venue पर ही नज़र बंद रखना चाहिए, और एक बार सउम्मीत ख़तम होते ही उसे पकिस्तान के लिए रवाना कर देना चहिये। इस दौरान पाकिस्तानी प्रतिनिधि को मीडिया से बात चीत करने के लिए भी ज़्यादा मौके नहीं देना चहये। ऐसा करकर भारत ज़रूर एक strong signal भेजना चाहिये।
सरताज अज़ीज़ को सिर्र्फ समिट तक सीमित करके भारतीय सरकार पाकिस्तान को उसकी सही जगह भी दिखा सकता है।
अब हमें आने वाले दिनों में देखना होगा की भारत क्या रणनीति अपनाता है, और पाकिस्तानी प्रतिनिधि को आग उगलने से कैसे रोकता है।